OSI Model क्या है in Hindi | Computer Notes In Hindi - hinditech444.blogspot.com


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OSI Model In Hindi-

OSI Model का पूरा नाम (Open System Interconnection) है। इसे IOS (International Organization for Slandered) ने 1948 मे विकसित किया था। इस मॉडल मे कुल 7 लेयर्स होता है। 

ओएसआई मॉडल किसी नेटवर्क में दो यूज़र्स के बीच कम्युनिकेशन के लिए एक reference Model है। इस Model की प्रत्येक लेयर दूसरे लेयर पर निर्भर नही रहती है, परन्तु एक लेयर से दूसरे लेयर में डेटा का ट्रांसिमिशन होता है।

OSI model यह डिस्क्राइब करता है कि किसी नेटवर्क में डेटा या Information कैसे भेजा तथा प्राप्त होती है। OSI मॉडल के सभी layers का अपना अलग-अलग काम होता है, जिससे कि डेटा एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक आसानी से पहुँच सके।

OSI Model यह भी डिस्क्राइब करता है कि नेटवर्क Hardware तथा Software एक दूसरे के साथ लेयर के रूप में कैसे कार्य करते है।


7 Layers of OSI MODEL IN HINDI 


OSI model में निम्नलिखित 7 layers होती हैं -


PHYSICAL LAYER (फिजिकल लेयर)

OSI model में फीजिकल लेयर सबसे निम्नतम लेयर होता है। यह लेयर फिजिकल तथा इलेक्ट्रिकल connection के लिए जिम्मेदार रहता है। जैसे:- वोल्टेज, डेटा रेट्स आदि।

इस Layer में डिजिटल सिग्नल, इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल जाता है।

इस Layer में नेटवर्क की topology अर्थात layout of network(नेटवर्क का आकार) का कार्य भी इसी लेयर में होता है।


फिजिकल लेयर यह भी डिस्क्राइब करता है कि Communication wireless होगा या wired होगा।इस लेयर को बिट यूनिट( Bit Unit ) भी कहा जाता है।


इसके functions (कार्य)-


Physical layer यह define करता है कि दो या दो से अधिक devices आपस में physically कैसे connect होती हैं।

इसके द्वारा यह define किया जाता है कि नेटवर्क में दो devices के बीच कौनसा transmission mode होगा। simplex, half-duplex, और full duplex में से कौन सा होगा।

यह information को Transmit करने वाले सिग्नल को निर्धारित करता है।

Data link layer (डेटा लिंक लेयर)

OSI Model में Data link layer नीचे से दूसरे नंबर की लेयर होती है। इस लेयर की दो sub-layers होती है:-

MAC(मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल), तथा

LLC(लॉजिक लिंक कण्ट्रोल)

1)  high-level data link control (HDLC)

2) PPP (Point-to-Point Protocol)

इस layer में Network Layer द्वारा भेजे गए डेटा के पैकेटों को decode तथा encode किया जाता है, तथा यह लेयर यह भी ensure करता है कि डेटा के ये packets त्रुटि रहित हो।

इस लेयर को फ्रेम यूनिट (Frame Unit) भी कहा जाता है। इस layer में Data transmission  के लिए दो प्रोटोकॉल प्रयोग होते है।

इसके कार्य (Function)-

यह layer, physical raw bit stream को packets में translate करती है। इन packets को हम frames कहते है। और यह layer इन frames में header और trailer को add करती है।

इसका मुख्य कार्य flow control करना है। इसमें receiver (प्राप्त करने वाले) और sender (भेजने वाले) दोनों तरफ से एक नियत data rate को maintain किया जाता है। जिससे कि कोई भी data corrupt ना हो।

यह त्रुटि को भी कंट्रोल करता है। इसमें trailer के साथ CRC (cyclic redundancy check) को add किया जाता है, जिससे डेटा में कोई त्रुटि ना आये। 

जब दो या दो से अधिक devices एक communication channel से जुडी रहती है तब यह layer यह निर्धारित करती है कि किस डिवाइस को access दिया जाए। 

Network layer (नेटवर्क लेयर)

नेटवर्क लेयर OSI Model का तीसरा लेयर है इस लेयर में switching तथा routing technic का प्रयोग किया जाता है। इसका कार्य लॉजिकल एड्रेस (Logical Address)  अर्थात I.P. address भी उपलब्ध कराना है।

Network Layer में जो data होता है वह packet (डेटा के समूह) के रूप में होता है और इन packets को source से destination तक पहुँचाने का काम नेटवर्क लेयर का होता है।

इस लेयर को Packet Unit (पैकेट यूनिट)   भी कहा जाता है।

इसके कार्य

Network layer  की मुख्य जिम्मेदारी inter-networking की होती है। यह अलग-अलग devices में logical connection उपलब्ध करवाता है।

यह frame के हेडर में source और destination address को add करती है। Address का इस्तेमाल internet में devices को identify करने के लिए किया जाता है। 

इस layer का काम routing का भी है। यह सबसे अच्छे path (रास्ते) को determine करती है। 

Transport layer (ट्रांसपोर्ट लेयर) 

Transport Layer OSI मॉडल की चौथी लेयर है। इस layer का प्रयोग data को नेटवर्क के मध्य में से सही तरीके से transfer किया जाता है। इस लेयर का कार्य दो कंप्यूटरों के बीच कम्यूनिकेशन को उपलब्ध कराना भी है।

इसे सेगमेंट यूनिट ( Segment unit ) भी कहा जाता है।


इसके कार्य (Function)


Transport Layer का मुख्य कार्य data को एक Computer से दूसरे Computer तक transmit करना है.

जब यह layer उपरी layers से message को receive करती है, तो यह message को बहुत सारें segments में विभाजित कर देती है और प्रत्येक segment का एक sequence number होता है जिससे प्रत्येक segment को आसानी से identify किया जा सके। 

यह दो प्रकार की service प्रदान करती है:- connection oriented और connection less। 

यह flow control और error control दोनों प्रकार के कार्यों को करती है। 

Session layer(सेशन लेयर)

Session layer OSI model की पांचवी लेयर है, जो कि बहुत सारें Computers के मध्य कनेक्शन को नियंत्रित करती है।

Session layer दो डिवाइसों के मध्य communication के लिए सेशन उपलब्ध कराता है अर्थात जब भी कोई यूजर कोई भी website खोलता है तो यूजर के कंप्यूटर सिस्टम तथा website के सर्वर के मध्य तक सेशन का निर्माण होता है।

आसान शब्दों में कहें तो सेशन लेयर का मुख्य कार्य यह देखना है कि किस प्रकार connection को establish, maintain तथा terminate किया जाता है।


इसके कार्य (function)

session layer जो है वह dialog controller की भांति कार्य करती है।  यह दो processes के बीच dialog को create करती है। 

यह synchronization के कार्य को भी पूरा करती है।अर्थात् जब भी transmission में कोई त्रुटि आ जाती है तो ट्रांसमिशन को दुबारा किया जाता है। 

Presentation layer (प्रेजेंटेशन लेयर)

Presentation layer OSI Model का छटवां लेयर है। इस लेयर का प्रयोग डेटा का encryption तथा decryption के लिए किया जाता है। इसे डेटा compression के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। यह लेयर ऑपरेटिंग सिस्टम (operating system) से सम्बंधित है।

कार्य (functions)

इस लेयर का कार्य encryption का होता है privacy के लिए इसका use किया जाता है.

इसका मुख्य काम compression का भी है।  Compression बहुत जरुरी होता है क्योंकि हम data को compress करके उसके size को कम कर सकते है। 

Application layer (एप्लीकेशन लेयर)

Application layer OSI model का सातवाँ (सबसे उच्चतम) लेयर है। एप्लीकेशन लेयर का मुख्य कार्य हमारी वास्तविक एप्लीकेशन तथा अन्य layers के बीच interface कराना है।

Application layer end user के सबसे नजदीक होती है। इस लेयर के अंतर्गत HTTP, FTP, SMTP तथा NFS आदि प्रोटोकॉल आते है।

यह लेयर यह control करती है कि कोई भी एप्लीकेशन किस प्रकार नेटवर्क से access करती है।

functions (कार्य)

Application layer के द्वारा यूजर remote computer से files को access कर सकता है और files को retrieve कर सकता है। 

यह email को forward और store करने की सुविधा भी देती है। 

इसके द्वारा हम database से directory को access कर सकते हैं। 

Advantage of OSI model  – ओएसआई मॉडल के लाभ

इसके लाभ निम्नलिखित होते  है:-

1:- यह एक generic model है, तथा इसे  standard model माना जाता है। 

2:- OSI model की layers जो है वह services, interfaces, तथा protocols के लिए बहुत ही विशेष है। 

3:- यह बहुत ही flexible मॉडल होता है, क्योंकि इसमें किसी भी protocol को implement किया जा सकता         है। 

4:- यह connection oriented तथा connection less दोनों प्रकार की सेवाओं को support करता है। 

5:- यह divide तथा conquer technic  का प्रयोग करता है जिससे सभी services विभिन्न layers में कार्य             करती है।  इसके कारण OSI model को administrate तथा maintain करना आसान हो जाता है। 

6:- इसमें अगर एक layer में बदलाव कर भी दिया जाए तो दूसरी लेयर में इसका effect नहीं पड़ता है। 

7:- यह बहुत ही ज्यादा secure तथा adaptable है। 

Disadvantage of OSI model-ओएसआई मॉडल के हानियाँ 

इसकी हानियाँ निम्नलिखित है:-

1;- यह किसी विशेष protocol को define नहीं करता है। 

2:- इसमें कभी-कभी नए protocols को implement करना मुश्किल होता है, क्योंकि यह model इन                 protocols के आविस्कार से पहले ही बना दिया गया था। 

3:- इसमें services का duplication हो जाता है जैसे कि transport तथा data link layer दोनों के पास त्रुटि        को control विधी होती है। 

4:- यह सभी लेयर्स एक दूसरे पर interdependent होती है। 

Characteristics of OSI model in Hindi

अब हम इसकी निम्न विशेषताओं को जानेंगे-


OSI Model दो layers में Devide होता है। 

1 - upper layers और 2- lower layers.

इसकी upper layer मुख्यतया application से related issues को handle करती है, और ये केवल software पर लागू होती हैं। Application लेयर, end user के सबसे नजदीक होती है। 

OSI Modelकी lower layers जो है वह data transport के issues को हैंडल करती है।  Data link layer और physical लेयर hardware और software में लागू होती है।  Physical layer  सबसे निम्नतम लेयर होती है और यह physical medium के सबसे नजदीक होती है।  फिजिकल लेयर का मुख्य कार्य physical medium में data या information को रखना होता है। 

निवेदन - हैलो दोस्तों आपको यह OSI Model कि पोस्ट कैसा लगा कमेन्ट में  जरूर बताएं और पने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

 धन्यवाद। 

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